Sunday, March 15, 2020



             
              

     बुलाती है मगर.....


बुलाती है मगर जाने का नहीं ,
ये दुनिया है इधर जाने का नहीं

मेरे बेटे किसी से इश्क़ कर ,
मगर हद से गुज़र जाने का नहीं

जमीं भी सर पे रखनी हो तो रखो
चले हो तो ठहर जाने का नहीं

सितारे नोच कर ले आऊंगा
मैं खाली हाथ घर जाने का नहीं

वबा ( महामारी ) फ़ैली हुई है हर तरफ़
अभी माहौल मर जाने का नहीं

वो गर्दन नापता है नाप ले
मगर ज़ालिम से डर जाने का नहीं |
             - डॉ. राहत इंदौरी |
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 इस पार के थपेड़ों ने उस पार कर दिया....
 कश्ती तेरा नसीब चमकदार कर दिया

इस पार के थपेड़ों ने उस पार कर दिया

अफ़वाह थी कि मेरी तबियत ख़राब है
लोगों ने पूछ पूछ के बीमार कर दिया

रातों को चांदनी के भरोसे ना छोड़ना
सूरज ने जुगनुओं को ख़बरदार कर दिया

रुक रुक के लोग देख रहे है मेरी तरफ़
तुमने ज़रा सि बात को अखबार कर दिया

इस बार एक और भी दीवार गिर गयी
बारिश ने मेरे घर को हवादार कर दिया

बोला था सच तो ज़हर पिलाया गया मुझे
अच्छाइयों ने मुझे गुनेहगार कर दिया

दो गज़ ही सही ये मेरी मिलकियत ( जायदाद ) तो है
ऐ मौत तूने मुझे ज़मींदार कर दिया  

- डॉ. राहत इंदौरी |



31 comments:

  1. बहुत सुंदर lines है भाई ।......👌👌👌

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  2. Heart touching line " Raato ko chandni k bharose na cchodna
    Suraj n jugnuo k khabardar kar diya"

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